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लेखनी प्रतियोगिता -08-Sep-2022

दूसरों की कहानी में, ख़ुद के क़िस्से ढूँढ रहा हूं,
टूट चुका हूं मैं, अपने बिखरे हिस्से ढूँढ रहा हूँ।

गुस्सा तो आता है, अपने मुफलिस हालात पर,
पर उम्मीद है कि अभी मोहरे शेष हैं बिसात पर।

ग़म का यह घना अंधेरा एक दिन छट जाएगा,
है विश्वास खुद पर कि अपना भी वक्त आएगा।

कागज़ पर उतार रखी है अपने गमों की कहानी,
बीते लम्हों का सोच, उतर आया आंखों में पानी।

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14 Comments

जी सुंदरतम अभिव्यक्ति।

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Achha likha hai 💐

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Haaya meer

09-Sep-2022 09:24 PM

👍👍

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